जवां दिल है सम्हाल के, नीयत कहां जा रहा है,
कोई मोहब्बत निभा रहा है कोई शौक मिटा रहा है,
चीर जाएगा ग़र कलेजा एकबारी धोखा खाके,
करीब आए जो खुदा भी, लगेगा शैतान आ रहा है.
-Param
तुझे मुझसे हुआ गिला , मय मुझसे मिला,
मै तुझमे समाता रहा, मय मुझमे समाता रहा,
मोहब्बत के मारे अक्सर बरबादी की राह पकड़े है,
इस एकतरफा राह पे मै भी चलू क्या
देखता हूँ रोज़ सड़क किनारे किसी को जिल्लत की नींद सोते,
बेपरवाह ज़िन्दगी से मै भी हो लू क्या,
तुझे याद करके रोलु जरा सा,
या ज़ाम का ज़हर , ज़िन्दगी मे घोलू क्या
हो जाऊ आबाद तुझे दिखाने ही सही
कि कोई चुपके आके कहे
अपने दिल की बात बोलू क्या
-Param