ये कोई तारीख नहीं जो भूल जाओ,
एक काला दाग था,
थी ये किसी की भूल
कि अपनी आस्तीन में कोई नाग (सांप) था।
शहीदों की शहादत को बस याद करें
काफी नही,
जो रत्ती भर भी शामिल किसी साजिश में, उसे माफी नही,
वो एक काला दिन था जब पूरा देश रोया था,
रगों में गुनहगारों के लिए आक्रोश बोया था,
खाई थी तब कसमें
के हर ईंट का जवाब पत्थर होगा,
जो आँख उठा के भी देखी वीरों को,
माँ भारती के कदमों पे उसका सर होगा,
-Param
Jai hind
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