देखा उसे
देखा उसे दिल हारकर,
दिल ने कहा
जा इज़हार कर,
वो हुस्न की है मल्लिका
उसपे ही जाँ-निसार कर,
देखा उसे....

कहनी है उससे दिल का हाल,
बदले से है अपने भी चाल,
अदब से भर उठा है मन,
कहाँ है मेरी गुलबदन,
तलाश कर आँखे रोयी,
कई रात-रात ना सोयी,
देखा उसे
हम घबरा गए
कुछ और ही
बड़बड़ा गए
मुँह ढाप कर
जब वो हँसी
हम मन ही मन शरमा गए
देखा उसे...
Param
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