Monday, April 6, 2020

दोस्ती-प्यार

प्यार की शुरुआत,
पहले दोस्ती,
तकरार,
दिल्लगी,
फिर प्यार,

पर दोस्ती इजाजत कहाँ देती है,
की उसके जज़बातों से खेले,
रंग चढ़ा दें अपना ऐसे के,
वो अपनी जुबां बोले।

के दोस्ती इजाज़त कहाँ देती है,
की उसकी खुशी के आगे सोचें,
भले लग जाये हिज्र की चोट,
के उसके आकांक्षाओं को टोके

दोस्ती कहाँ इजाजत देती है,
के अपने बारे में सोचे,
अपनी इच्छा उसपर थोपें,,

गर दोस्ती है,
वो प्यार ही है,
पर रिश्ता अगर प्यार का हो
तो दोस्ती जरूरी नही।।
Param

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