Wednesday, May 13, 2020

राजनीतिक नज़रिया

#राजनीतिक नज़रिया

हाय रे!
ये कैसी अफरा-तफरी,
जैसे कोई अबोध बालक हो,
सिख रहा हो सायकल की सवारी,
उठा रखा है सारे घर को सिर पर
हलाकान,
भाई भी बहन भी,
माँ पिता और दादा-दादी भी,
पड़ोसी और सारा गांव भी,
अरे कोई उसे सिखाता क्यों नही?
मैदान में जाने का रास्ता कोई बताता क्यों नही?
सब क्यों बने हो मूकदर्शक,
कि थक हार गए हो समझा-बुझा के,
वो है ही जिद्दी छोकरा,
अड़ियल,
किसी की नी सुनता,
कहता-करता बस अपने मन की है
ठान लिया है सायकल चलाएगा,
तो अपने घर मे ही चलाएगा,
मोहल्ले में ही चलाएगा,
Param
*सारे दलों का हाल कुछ ऐसा ही जान पड़ता है

Saturday, May 9, 2020

माँ


प्रथम गुरु,
संस्कार दात्री,
जीवन का आधार,
ममता की मूरत,
माँ
तुम हो तो सरल है
हर कठिन रास्ते
तुम हो तो अटल है
इरादे जो खास थे
तुम हो तो ज्ञान में संस्कार का संयोग,
तुम हो तो धन में अहंकार का वियोग,
तुम हो तो सच मे जीवन सफल है
तुम हो तो हर विपदा सरल है
माँ
तुम हो प्रथम गुरु
संस्कार दात्री....
Param

Tuesday, May 5, 2020

लड़की होना एक जंग

अपनी-अपनी इच्छा
अपना-अपना ढंग
पर किसी पर भी ना थोप
तेरा जैसा भी रंग,

की दिखावे की आदत ना
छोड़ दी हमने,
जो आया अकड़ के सामने
उसे तोड़ दी हमने,
जो लगा रहे हो बेड़ी
ढोंग-ढकोसलों का,
बीते जमाना हो गया,
वो प्रथा तोड़  दी हमने।।

आखिर क्यों करें जी हजूरी,
क्या अपने लिये जीना पाप है,
चारदीवारी में हम  क्या फिर से हो जाये कैद,
फिर जमाने से कहे लड़की होना शाप है।।।
Param


अफ़वाह वाले

झूठ ही झूठ की आज अंबार लगा दूँ,
शब्दजाल से राई को पहाड़ बना दूँ,
बेमतलब की बातों से उलझाता चलूंगा,
किसी और के कंधे बंदूक चलाता चलूंगा,

दो बातें ऐसी करूँ जिसका खुद में कोई मेल ना हो,
स्वयं ज्ञानी लाख करे तर्क वितर्क और कुतर्क,
कोई बच ना पायेगा जिसके मन मे अब कोई मैल ना हो,

कि जुबां की नियत कोई समझता क्यों नहीं,
बदनीयती पर कोई उलझता क्यों नही,
क्या हाल बना रखी है इस शहर का ऐ मालिक,
नियत की जुबां कोई समझता क्यों नही है

कि किसी के बुरे कर्म क्या अच्छे है
के कोई उससे भी बुरा है,
बुराई झेल जाना भी,
बुराई से बुरा है,
बुराई का सर उठता है,
के अच्छाई झुकी है,
बुराई मिट ही जाता है
जब भी सच्चाई उठी है।।।
Param

Friday, May 1, 2020

दरार

हो ये बात ज़िन्दगी की 
या जमी की
आपसी रिश्तों की,
या कोई कमी की,
दरार अगर आये,
तो खुद पर ऐतबार करना,
दरार ना रहे वो व्यवहार करना,
कि जो वक़्त हर जख्म भर देती है,
वो अक्सर दरारें बड़ा कर देती है।।।
Param

Friday, April 24, 2020

हम उसे देखते रहे वो कोई चाल चल गयी

हम उसे देखते रहे
वो कोई चाल चल गयी,
बनके फिरते रहे भले मानुस,
वो हमें कंगाल कर गयी,,

अब अपनी किस्मत ले के रोये,
या रोये अपनी फितरत पर,
वो आयी बनके सखी,
हमे बेहाल कर गयी।।

अब हमें है बड़ी खुन्नस,
जो मिल जाये तो ठोके,
उसका वही हाल करेंगे 
जो वो मेरा हाल कर गयी,

*एक दिन मिली अचानक,
किसी और शहर में,
कोई और रूप रंग में,
किसी और डगर में,

फिर हम उसे देखते रहे,
आँखे उसकी कमाल कर गयी
ऐसा उसके हुस्न का जादू,
कि दिल बहाल कर गयी,

फिर हमने जुटायी हिम्मत,
थोड़ी दिखाई दबंगाई,
चले थे हाल सुनाने,
वो हमें ना पहचाने,

फिर हम उसे देखते रहे,
वो हमे पार कर गयी,
मुड़के देखा तलक नही,
हमे बिन-हथियार कर गयी,
Param

Thursday, April 23, 2020

देखा उसे ,😍

देखा उसे
देखा उसे दिल हारकर,
दिल ने कहा 
जा इज़हार कर,
वो हुस्न की है मल्लिका
उसपे ही जाँ-निसार कर,
देखा उसे....

कहनी है उससे दिल का हाल,
बदले से है अपने भी चाल,
अदब से भर उठा है मन,
कहाँ है मेरी गुलबदन,
तलाश कर आँखे रोयी,
कई रात-रात ना सोयी,

देखा उसे
हम घबरा गए
कुछ और ही 
बड़बड़ा गए
मुँह ढाप कर
जब वो हँसी
हम मन ही मन शरमा गए
देखा उसे...
Param

Tuesday, April 21, 2020

कर्म

अहिंसा का बोध,
कायरता की निशानी ना बने,
ऐ वीर कही तेरी सहनशीलता,
एक निर्बलता की कहानी ना बने,
जब कर्म में तेरी हिंसा हो,
तब दुष्टों पर आघात कर,
जब रण में हो कोई शत्रु,
उठा अस्त्र प्रतिघात कर,
इतिहास रचे 
जन नाम जपे
वीरता की एक कहानी गढ़,
Param

बदलता परिवेश

बंद जो हुआ सारा बाजार
अब वेश साधु सा है,
परिवेश पारिवारिक,
विचार साधु सा है,
मुक्त सा हुआ हूं,
संसार के जंजाल से,
जिंदगी जो जिया है,
मायाजाल सा है
Param

जीवन का सार

जीवन सार
क्या कमाने आये थे 
क्या कमा रहे है,
जो व्यर्थ ठहरे भवसागर में,
वहां जान जला रहे है,

वो धन ही क्या,
जो अपमान करे,
वो नाम ही क्या,
जो बदनाम करे,
Param

Monday, April 13, 2020

कदमों के निशाँ

पलट कर जब कभी भी देखा अपने कदमो के निशाँ,
इन्हें अक्सर तेरी यादों में लिपटा पाया है,
बाहे खिल जाते
आँखे चमक जाते
जब कभी भी किसी जुबान पे तेरा नाम आया है
Param

प्यार एक कल्पना

'प्यार' एक कोरी कल्पना,
जिसके किसी भी एक पहलू पर दृढ हुआ जाए,
संभव नही,
एक रहस्य,
मर्ज या दवा,
दावा कोई भी सच्चा नही,
कोई भी झूठा नही,
एक अनसुलझी पहेली,
Param

अनकही बातें

चेहरे बोलते है,
राज खोलते है,
जो कह ना सके ज़ुबा,
वो सारे अल्फ़ाज बोलते है,

जो नूर है तेरे चेहरे पे,
तो हर मौसम खुशी का है,
गर है खामोशी 
तो सुहानी शाम भी बेवफा
Param

Monday, April 6, 2020

दोस्ती-प्यार

प्यार की शुरुआत,
पहले दोस्ती,
तकरार,
दिल्लगी,
फिर प्यार,

पर दोस्ती इजाजत कहाँ देती है,
की उसके जज़बातों से खेले,
रंग चढ़ा दें अपना ऐसे के,
वो अपनी जुबां बोले।

के दोस्ती इजाज़त कहाँ देती है,
की उसकी खुशी के आगे सोचें,
भले लग जाये हिज्र की चोट,
के उसके आकांक्षाओं को टोके

दोस्ती कहाँ इजाजत देती है,
के अपने बारे में सोचे,
अपनी इच्छा उसपर थोपें,,

गर दोस्ती है,
वो प्यार ही है,
पर रिश्ता अगर प्यार का हो
तो दोस्ती जरूरी नही।।
Param

Sunday, April 5, 2020

कितना बेक़सूर

समझा लो खुद को कितना भी बेकसूर पर हो नही,
कि भटकते को राह भी ना दिखाया इतना मजबूर हो नही,
माना कभी काबिल ही ना हो सकते थे,
की तुझसे मुहब्बत मुकम्मल हो,
समझ जाएं तेरी सारी चुप्पियाँ,अदाकारा तुम इतने मशहूर हो नही।।

तेरी चुप्पी का कोई मतलब  मैं समझता कैसे,
मुहब्बत में अंधा तेरी खामोश सवालोँ से उलझता कैसे,
दिलो-दिमाग बेकाबू ,ये प्यार ही ऐसा है,
मैं तो मदहोश था सही-गलत का भेद करता कैसे।।
Param


Saturday, April 4, 2020

कोरोना का दर्द

वक़्त कठिन है ज़रा सम्हल के चल,
घर से बाहर ना निकल,
मुसीबत दस्तक दे रही है,
लौट आये है परिंदों से घर वापस,
जो गए थे भोजन की तलाश में,
कुछ यहां के रहे ना वहां के इस आपाधापी में,
लटक गये है राहों में, जिंदगी अटक सी गयी है,
Param

Tuesday, March 10, 2020

मोहब्बत और जवानी

जवां दिल है सम्हाल के, नीयत कहां जा रहा है, 
कोई मोहब्बत निभा रहा है कोई शौक मिटा रहा है,
चीर जाएगा ग़र कलेजा एकबारी धोखा खाके,
करीब आए जो खुदा भी, लगेगा शैतान आ रहा है.
-Param
तुझे मुझसे हुआ गिला , मय मुझसे मिला, 
मै तुझमे समाता रहा, मय मुझमे समाता रहा,

मोहब्बत के मारे अक्सर बरबादी की राह पकड़े है, 
इस एकतरफा राह पे मै भी चलू क्या
देखता हूँ रोज़ सड़क किनारे किसी को जिल्लत की नींद सोते,
बेपरवाह ज़िन्दगी से मै भी हो लू क्या, 
तुझे याद करके रोलु जरा सा,
या ज़ाम का ज़हर , ज़िन्दगी मे घोलू क्या
हो जाऊ आबाद तुझे दिखाने ही सही
कि कोई चुपके आके कहे
अपने दिल की बात बोलू क्या
-Param

रंगों का त्योहार

अनेक रंगों में रंगी है जिन्दगी,
ना जाने तुमने कौन से रंग देखा है,
आ दिन आज हर रंग में रंगने का,
हर गीले-शिकवे भुला लें कल किसने देखा है।।
*होली मुबारक हो*

:-Param

Saturday, February 29, 2020

सैनिकों को सहादत

ये कोई तारीख नहीं जो भूल जाओ,
एक काला दाग था,
थी ये किसी की भूल
कि अपनी आस्तीन में कोई नाग (सांप) था।
शहीदों की शहादत को बस याद करें
काफी नही,
जो रत्ती भर भी शामिल किसी साजिश में, उसे माफी नही,
वो एक काला दिन था जब पूरा देश रोया था,
रगों में गुनहगारों के लिए आक्रोश बोया था,
खाई थी तब कसमें 
के हर ईंट का जवाब पत्थर होगा,
जो आँख उठा के भी देखी वीरों को,
माँ भारती के कदमों पे उसका सर होगा,

-Param

ख्वाहिश

👧🏻 मेरी जिंदगी में भी होगी कोई ऐसी
जो रखे मेरा ख्याल,
जैसे कि मैं लाज़ हूँ उसका
Param

एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा

तू हो गयी है कसम से अदाओं वाली,
तेरी हर एक झलक में नई नज़ाकत है,
एक दफ़ा जो कर ले दीदार तेरा,
मन हो उठे अधीर ऐसे  कि तेरी आदत है।।
 Param

Friday, February 28, 2020

वक़्त के भरोसे

अजीब है ना वक़्त का युं जल्दी से गुजर जाना, 
किसी के लिए रुकना नही किसी के आगे झुकना नही,
फिर  जो किसी का नही उसके भरोसे क्यों जिंदगी की परेशानियों को छोड़ना, 
खुद के दम पर तिनका-तिनका ही सही अपनी खुशियां बटोरना,
Param